आरडी गार्डी डायरेक्टर डॉ महाडिक ने किया शर्मनाक काम,कोरोना पीड़ित भाई को छुपाकर इंदौर से लाया उज्जैन,जनता ने की रासुका लगाने की मांग
आज आपको हम इस लेख के माध्यम से वो जानकारी देने जा रहे है जो बड़े अखबारों में प्रकाशित नही हुई । सुबह के बड़े बड़े अखबार इस डॉ का नाम छापने से बचते है । इसके ऊंचे-ऊंचे पदों पर बैठे लोगों से बहुत घनिष्ठ संबन्ध है । इसका फायदा हमेशा इसे मिलता रहता है । आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज और चैरिटेबल हॉस्पिटल के अनेकों मामले दबाने में डॉ महाडिक का कोई तोड़ नही । इनका मैनेजमेंट देखिए एक शर्मनाक हरकत करने पर भी दिग्गज अखबारों में इनकी खबर तो दी गयी लेकिन बिना नाम के ओर बिना फोटो के जबकि गौर करने वाली बात है कि डॉ महाडिक किसी भी सामाजिक कार्य मे कभी आगे नही आये । डॉ महाडिक 85 साल के संक्रमित डॉक्टर भाई को अस्पताल की एंबुलेंस से चोरी-छिपे इंदौर से शहर में ले आए। निमोनिया बताकर चेरिटेबल अस्पताल में उनका इलाज कराते रहे। यहां छह दिन तक इलाज चला। तीन दिन पहले उन्हें आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में शिफ्ट किया। अब भाई की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई। इसके बाद से इलाज करने वाले चेरिटेबल अस्पताल के डॉक्टर, नर्स, कर्मचारी कोरोना की चपेट में आने की आशंका को लेकर घबराए हुए हैं। अब रिपोर्ट के बाद अस्पताल के स्टाफ को चौथे माले पर क्वारेंंटाइन किया है।उज्जैन के नजदीक उन्होंने अपनी अलग दुनिया बसा रखी है जहां पर डॉ बनाने के सौदे होने के आरोप भी लगते रहें है । वही यहां के टीचरों पर यौन शोषण तक के न सिर्फ आरोप लगे बल्कि वो जेल भी गए । आज की तरह उस वक्त भी खबरों को दबा दिया गया । लेकिन इस बार डॉ महाडिक ने पूरे उज्जैन की परवाह न करते हुए अपने कोरोना पीड़ित भाई को इंदौर से छुपा कर उज्जैन लाने के बाद चैरिटेबल और आरडी गार्डी में निमोनिया बोलकर इलाज करवाया । वहां के मेडिकल स्टाफ की जान  भी दांव पर लगी । यह मामला सिर्फ इतना भर नही है अपने भाई के लिए इसने पुरे उज्जैन की जनता के बीच लाकर कोरोना फैलाने की वो ही कोशिश की जो काम देश मे तब्लीगी जमात ने किया था । अब प्रशासन हरकत में आया और कोरोना संक्रमित पाए जाने पर उनके निवास को सील किया गया है। डॉ. महाडिक आर.डी. गार्डी मेडिकल कॉलेज के मेडिकल डायरेक्टर है,अपने कोरोना पीड़ित भाई को छिपाकर इंदौर से उज्जैन लाकर डॉ. महाडिक ने जानबूझकर वो काम किया जिससे उज्जैन की जनता को जान का जोखिम हो गया । निमोनिया बताकर इलाज करवाने से मेडिकल स्टाफ ने न तो कोई किट पहनी होगी । न कोई मास्क लगाया होगा । चुकी कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से फेल रहा है । यह संक्रमित के संपर्क में आने से फेल रहा है अंदाज लगाइए की जिन मेडिकल स्टाफ ने इसके भाई का इलाज किया होगा उन्होंने कितने सामान्य मरीजों का इलाज किया होगा । संक्रमण की यह चैन कितनी लम्बी बनी होगी । यह गहन जांच का विषय है । अपने उच्च संपर्कों के कारण उन पर क्या कार्यवाई होती है यह देखना हैं। उज्जैन का संकट बढ़ाने वाले इस प्रभावशाली चिकित्सक पर शासन-प्रशासन को निष्पक्ष कार्यवाई करना चाहिए। यह मांग कांग्रेस के नेता मकसूद अली , वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश त्रिवेदी उठा चुके है । वैसे तो हमारे देश मे ऐसे अनेक निजी मेडिकल कॉलेज है जिनका नाम आते ही आम आदमी की रूह कांप जाती है । ये मेडिकल कॉलेज जहां एक ओर शासन से पूरा फायदा लेते है लेकिन दूसरी ओर जनता को भी नोचने से पीछे नही हटते है । इनकी बिल्डिंग जितनी बड़ी होती है दिल उतना ही छोटा होता है । यदि आम व्यक्ति सड़क से गुजर रहा हो और  उसके सामने कोई व्यक्ति गाड़ी से गिर जाता है तो वो मदद में तुरन्त रुक कर हाथ बढ़ाता है । लेकिन उज्जैन का यह मेडिकल कॉलेज जिसके गेट पर कुछ दिन पूर्व ही कोरोना पीड़ित एक महिला ने तड़प-तड़प कर जान दे दी,लेकिन इन लोगो ने 3 चाबी होने के बाद भी जानबूझकर ताला नही ख़ोला । लेकिन खुद के भाई को बचाने के लिए यह महाडिक चोरी छुपे अपने भाई को इंदौर से उज्जैन लाया भी ओर निमोनिया बता कर उसका इलाज भी चैरिटेबल और आरडी गार्डी में किया गया । बिना शासन को अवगत करें । रासुका के तहत  सख्त कार्यवाही को मांग  की जा रही है । उज्जैन की जनता ने आज सोशल मीडिया पर यह मांग की है कि डॉ महाडिक पर सख्त से सख्त कार्यवाही की जाए । सोशल मीडिया पर लिखा गया है कि यह डॉक्टरों के नाम पर धब्बा है इस पर रासुका के तहत सख्त कार्यवाही की जाए । 

(लेख का स्त्रोत उज्जैन के वरिष्ठ पत्रकारों के फेसबुक आईडी पर की गई पोस्ट एवं उसके नीचे शहर के प्रतिष्ठित जनप्रतिनिधियों एवं नागरिकों के कमेंट से ली गयी जानकारी है ।)


लेखन एवं संकलन मिलिन्द्र त्रिपाठी